Natarang Pratishthan

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Andher Nagri, Writer: Bhartendu Harishchandr, Director: B. V. Karanth.
Image: Andher Nagri, Writer: Bhartendu Harishchandr, Director: B. V. Karanth. (NP Acc. No. 1659)

Natarang Pratishthan Documentation Catalogue

  • Books (23)
    • Displaying records 11 - 15 of 23.
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    • Serial No: 11
      Title: पहला रंग
      Writer/Editor: देवेन्द्र राज अंकुर
      Language: हिन्दी
      Publisher/Place: राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
      Year: 21/06/1905
      Source/Accession No: न.प. / 1546
      Description/Notes: 191पृ0, पृ0-31(भारतीय रंगकर्म: प्रयोग और परीक्षण की एक अर्धशती): पणिक्कर द्वारा शास्त्रीय नाट्य शैलियों को अपनाने का उल्लेख। पृष्ठ-50(भारतीय रंगमंच में मंच अभिकल्पन एवं द्वश्यांकन): पणिक्कर और अरिविन्दन के आपसी सहयोग तथा ’मध्यमव्यायोग’ की प्रस्तुति का उल्लेख। पृ0-119(कावालम नारायण पणिक्कर: शास्त्रीय शैली की लोकप्र्रियता के प्रणेता): श्री राम सेंटर द्वारा आयोजित वार्षिक नाट्य समारोह में पणिक्कर निर्देशित भास का ’मध्यमव्यायोग’ की संस्कृत प्रस्तुति ने उन्हें संस्कृत नाटकों के बेहद संवेदनशील कल्पनाशील एवं नवोन्मेषी निर्देशक के रूप में प्रतिष्ठित किया। पृ0-119: पणिक्कर को हिन्दी रंगमंच में काम करने के अनेक अवसर मिलने का उल्लेख। पृष्ठ-120: पणिक्कर का नाटक लेखक, निर्देशक और कवि होना तथा मलयालम फिल्मों के लिए गीत भी लिखने का उल्लेख। पृष्ठ-120: पणिक्कर द्वारा पारम्परिक नाट्य शैलियों तथा शास्त्रीय शैली और परम्पराओं का प्रयोग। स्वयं रचित नाटकों का निर्देशन। पृ0-121: पणिक्कर की प्रस्तुतियों में शब्द, भाषा और संवाद जैसे निराकार तत्व भी साकार होने की चर्चा। इनकी प्रस्तुतियों में मलयालम फिल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक जी. अरविन्द के भी जुड़े होने का उल्लेख तथा प्रस्तुतियों अपने रंगों और वेशभूषा में नयनाभिराम। पृ0-122: पणिक्कर द्वारा संस्कृत नाटकों के मंचन के संबंध में पहले से प्रचलित तमाम मान्यताओं और धारणाओं को पीछे छोड़कर सर्वथा एक निजी एवं मौलिक शैली आविष्कृत करने का उल्लेख। पृ0-123: हिन्दी में पणिक्कर के नाटकों के अनुवाद में उदासीनता का उल्लेख। पृ0-124: पणिक्कर के पहले कवि और बाद में नाटककार, निर्देशक आदि होने का उल्लेख। पृ0-125: पणिक्कर का प्राचीन और लगभग समाप्त प्रायः नाट्य शैलियों के पुनरुत्थान में योगदान उनकी आलोचना और उपलब्धियों का उल्लेख।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serial No: 12
      Title: देवेन्द्र राज अंकुर
      Writer/Editor: रंगमंच का सौन्दर्यशास्त्र
      Publisher/Place: राजकमल प्रकाशन, दिल्ली
      Year: 28/06/1905
      Source/Accession No: न.प./2397
      Description/Notes: पृ0 26ः (नाट्यालेख): पणिक्कर ने अभिनेता की कला के नाम पर शारीरिक हरकतों में नया दृश्य संसार रचने का प्रयास किया है। 175पृ0, 200
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serial No: 13
      Title: नेमि चन्द्र जैन
      Writer/Editor: तीसरा पाठ, चार दशक की नाट्य प्रस्तुतियाँ
      Publisher/Place: वाणी प्रकाशन, दिल्ली
      Year: 20/06/1905
      Source/Accession No: न.प./2407
      Description/Notes: पृ0 28ः (क्लासिकी रंगमंच की खोज)ः कालिदास अकादमी ने पणिक्कर और दो अन्य निर्देशकों को विक्रयोवर्शीय के केवल चैथे अंक के प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया। इन प्रस्तुतियों में रंगकर्मी, लेखक, विद्वान आदि आमंत्रित। पृ0 47ः(बंधुआ प्रतात्माआं का विद्रोह)ः पिछले वर्षो भारतीय रंग मंच को सबसे अधिक जीवंत बनाने का श्रेय कवि, नाटककार, निर्देशक पणिक्कर को। कविता को गाँव तक ले जाने की कोशिश में वह नाटक की ओर मुड़ो ऐसी भाषा और शैली में काव्य नाटक लिखे जो लोक जीवन और परम्पराओं के समीप हों। पृ0 48ः पणिक्कर ने केरल के पारम्परिक संगीत, नृत्य तथा अन्य प्रदर्शनकारी कलाओं और शैलियों को सीखा और दनके आधार पर अपनी अलग प्रदर्शन शैली विकसित की। दनकी प्रदर्शन शैली में कथकलि, कडिआहम, कलरी, रूडियंडु, थेय्यम आदि अनेक नाट्य रूपों का समावेश। पणिक्कर ने तब तक सत्रह नाटक लिखे और इनमें से अनेक स्वयं प्रस्तुत किए। उनके साक्षी, दैवतार, अवनवन कटम्बा, ओट्टायन, करीमकुट्टी आदि ने मलयालम रंगमंच ही नहीं पूरे भारतीय रंगमंच के लिए एक नई भारतीय लीक तैयार की। उनकी रंग पद्धतियों ने संस्कृत नाटकों के प्रदर्शन में एक मौलिक और विशिष्ट आयाम जोड़ा। संगीत नाटक अकादमी द्वारा 1994 में पुरस्कार हेतू उनका चयन और इस अवसर पर उनके नए नाटक करीमकुड्डी की दन्हीं के निर्देशन में प्रस्तुति। पृ0 49ः पणिक्कर ने बड़े परिश्रम से अपनी ऐसी अभिनेता मंडली तैयार की जो नृत्य, गीत, अभिनय औैर शैलीगत भाषण का संवेदनशीलता और संयम के साथ उपयोग कर सके। पृ0 47ः(परंपरा और प्रयोग-चुनौती का एक नया स्तन)ः लेखक के मत से फरवरी 1985 में दिल्ली के रंगमंच पर पणिक्कर छाए रहे। उनके निर्देशन में संस्कृत, मलयालम, हिन्दी में चार नाटक प्र्रस्तुत हुए इनमें से तीन के लेखक वह स्वयं थे। पिछले कुछ वर्षों में वे भारतीय रंगमंच पर संस्कृत नाटकों के बहुत ही कल्पनाशील और समर्थ निर्देशक। पृ0 88ः नेमि जी के अनुसार उनकी शैली एक विशिष्ट रंग दृष्टि की उपज। पृ0 89ः एक रंग सृष्टा के रूप में उनकी दृष्टि और शैली में अनेक खूबियाँ। पृ0 261ः(नाट्य समारोह 1984)ः भानु भारती के निर्देशन में दिशा नाट्य संस्थान, उदयपुर द्वारा प्रस्तुत पशु गायत्री नाटक पणिक्कर द्वारा मलयालम में लिखित और भारतरत्न भार्गव द्वारा हिन्दी में अनुवादित। 294पृ0, 250
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serial No: 14
      Title: नेमिचन्द्र जैन
      Writer/Editor: दृश्य-अदृृश्य, संस्कृति और रंगमंच के ज्वलंत प्रश्नों की पड़ताल
      Publisher/Place: वाणी प्रकाशन, दिल्ली
      Year: 16/06/1905
      Source/Accession No: न.प./2412
      Description/Notes: ेपृष्ठ-16 (उदारता और आत्मघात में फॅसी सांस्कृतिक चेतना)ः नेमि जी के अनुसार समकालीन हिन्दी रंगमंच को समृद्ध और विशिष्ट बनाने में पणिक्कर जैसे अहिन्दी भाषी निर्देशकों का उत्कृष्ट योगदान। पृष्ठ-112 (आधुनिक रंगमंच कितना प्रयोगात्मक): नेमिजी के अनुसार पारम्परिक संस्कृति रंगमंच से प्रभावित हो एक नयी नाट्य शैली की और रूझान शुरू हुआ, जिसने रंगमंच को प्रयोगशील बनाया। कई नाटककारों, निर्देशकों ने आदिवासी अथवा लोकजीवन के अनुष्ठानों का व्यवहार किया जैसे मलयालम में प्रस्तुत कावालम नारायण पणिक्कर के नाटक। पृष्ठ-143(हिन्दी रंगमंच की दिशा)ः नेमिजी के मत से पिछले कुछ वर्षों में श्रेष्ठतम रचनात्मक रंगकार्य नाट्य संस्कुति के प्राथमिक श्रोत्रों से प्रेरणा लेकर हुआ जैसे निर्देशक पणिक्कर का ’मध्यम व्यायोग’। पणिक्कर अपने सांस्कुतिक परिवेश और भूमि से जुड़कर ही अपनी सर्जनात्मकता को पहचान सके। पृष्ठ-262 (नाट्यालोचन का परिप्रेक्ष्य): नेमिजी के मत से पिछले दिनों पारम्परिक नाटकों से पे्ररित, प्रभावित, उनका अनुकरण कर तैयार किए गए नाट्य प्रदर्शनों की तरफ रूझान बढ़ा। पणिक्कर आदि अस दौर के उत्कृष्ठ, कल्पनाशील, कलात्मक नाट्य प्रयास शैली और पद्धति के है।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serial No: 15
      Title: रंग परम्परा: भारतीय नाट्य में निरन्तरता और बदलाव
      Writer/Editor: नेमिचन्द्र जैन
      Language: हिन्दी
      Publisher/Place: वाणी प्रकाशन, दिल्ली
      Year: 18/06/1905
      Source/Accession No: न.प. / 2411
      Description/Notes: 82पृ0, पृष्ठ: 16-17 के बीच (उत्कर्ष): पणिक्कर निर्देशित मध्यमव्यायोग (भास) संस्कृत, सोपानम, तिरूवंतपुरम की फोटो। पृ0-72 (अन्वेषण): मलयालम में पणिक्कर का ’करीम कुट्टी’ और ’पशुगायत्री’ भारतीय सांस्कृतिक दृष्टि से उल्लेखनीय कृतियाँ। पृ0-76: पणिक्कर द्वारा संस्कृत में मध्यमव्यायोग, कर्णभार, अभिज्ञान शाकुंतमल तथा विक्रमोवर्शीय का चैथा अंक और हिन्दी में उरूभंग तथा मत्तविलास आदि प्रस्तुतियों ने भारतीय रंगकर्म का जैसे मिजाज ही बदल दिया, का उल्लेख।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
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  • Newspaper Clippings (24)
    • Displaying records 1 - 5 of 24.
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    • Serial No: 1
      Writing Form/Subject: सम्मान
      Title: कावालम नारायण पणिक्कर का कालिदास सम्मान
      Newspaper Name: नव भारत टाईम्स
      Language: हिन्दी
      Date: 23.12.1995
      Source: न.प.
      Description/Notes: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
    • Serial No: 2
      Writing Form/Subject: साक्षात्कार
      Writer: देवेन्द्र राज अंकुर
      Title: संस्कृत नाटक चुनौती देते हैं
      Newspaper Name: जनसत्ता, दिल्ली
      Language: हिन्दी
      Date: 21.11.1999
      Source: न.प.
      Description/Notes: पेज नं0-7, स्वप्नकथा की मंच प्रस्तुति के लिए दिल्ली आगमन। ’’कलाकार एवं रचनाकार की भूमिका उत्प्रेरक जैसी’’। नाटककार के संकट और दायित्व को लेकर चर्चा।
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
    • Serial No: 3
      Title: पणिक्कर संगीत नाटक अकादमी के नए उपाध्यक्ष
      Newspaper Name: नव भारत टाईम्स, नई दिल्ली
      Language: हिन्दी
      Date: 25.07.2004
      Source: संगीत नाटक अकादमी
      Description/Notes: संगीत नाटक अकादमी का फेलो होने के साथ-साथ उनकी उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति।
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
    • Serial No: 4
      Writing Form/Subject: रपट
      Writer: सुरेश अवस्थी
      Title: रंगकर्म: परंपरा का पुरूषार्थ
      Newspaper Name: नव भारत टाईम्स
      Language: हिन्दी
      Date: 02.05.1993,
      Source: न.प.
      Description/Notes: रंगकर्म की अस्मिता और परंपरा के पुरूषार्थ की खोज पर केन्द्रित लेख। कावालम नारायण पणिक्कर के नाटकों मध्यम वययोग, कर्णभारमृ, उरूभंगम् की चर्चा।
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
    • Serial No: 5
      Writing Form/Subject: समीक्षा
      Title: भाषा के लिए पारदर्शी संसार
      Name of the Play/Event: उरूभंगम
      Newspaper Name: जनसत्ता, दिल्ली
      Language: हिन्दी
      Date: 27.09.1989
      Source: न.प.
      Description/Notes: पेज नं0-7, भास के नाटक, निर्देशक-कावालम नारायण पणिक्कर। प्रस्तुति, भाषा, अनुवाद, संगीत, वस्त्र, विन्यास, प्रकाश, स्थान, तिथि-उ.न.।
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
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    • Serail No: 1
      Writing Form: सम्मान
      Title: कावालम नारायण पणिक्कर का कालिदास सम्मान
      Language: नव भारत टाईम्स
      Date: हिन्दी
      Volume: 23ण्12ण्1995
      Source: नण्पण्
      Description/Notes: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कालिदास सम्मान
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serail No: 2
      Writing Form: साक्षात्कार
      Writer: देवेन्द्र राज अंकुर
      Title: संस्कृत नाटक चुनौती देते हैं
      Language: जनसत्ताए दिल्ली
      Date: हिन्दी
      Volume: 21ण्11ण्1999
      Source: नण्पण्
      Description/Notes: पेज नं0.7ए स्वप्नकथा की मंच प्रस्तुति के लिए दिल्ली आगमन। ष्ष्कलाकार एवं रचनाकार की भूमिका उत्प्रेरक जैसीष्ष्। नाटककार के संकट और दायित्व को लेकर चर्चा।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serail No: 3
      Title: पणिक्कर संगीत नाटक अकादमी के नए उपाध्यक्ष
      Language: नव भारत टाईम्सए नई दिल्ली
      Date: हिन्दी
      Volume: 25ण्07ण्2004
      Source: संगीत नाटक अकादमी
      Description/Notes: संगीत नाटक अकादमी का फेलो होने के साथ.साथ उनकी उपाध्यक्ष पद पर नियुक्ति।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serail No: 4
      Writing Form: रपट
      Writer: सुरेश अवस्थी
      Title: रंगकर्मरू परंपरा का पुरूषार्थ
      Language: नव भारत टाईम्स
      Date: हिन्दी
      Volume: 02ण्05ण्1993ए
      Source: न.प. /
      Description/Notes: रंगकर्म की अस्मिता और परंपरा के पुरूषार्थ की खोज पर केन्द्रित लेख। कावालम नारायण पणिक्कर के नाटकों मध्यम वययोगए कर्णभारमृए उरूभंगम् की चर्चा।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
    • Serail No: 5
      Writing Form: समीक्षा
      Title: भाषा के लिए पारदर्शी संसार
      Journal: उरूभंगम
      Language: जनसत्ताए दिल्ली
      Date: हिन्दी
      Volume: 27ण्09ण्1989
      Source: न.प. /
      Description/Notes: पेज नं0.7ए भास के नाटकए निर्देशक.कावालम नारायण पणिक्कर। प्रस्तुतिए भाषाए अनुवादए संगीतए वस्त्रए विन्यासए प्रकाशए स्थानए तिथि.उण्नण्।
      Director/Actor being documented: कावालम नारायण पणिक्कर
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  • Scripts (2)
    • Displaying records 1 - 2 of 2.
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    • Serial No: 1
      Play: आरणि (ग्रीक के पौराणिक नाटक पर आधारित)
      Source/Accession No: न.प./316
      Description/Notes: कावालम नारायण पणिक्कर द्वारा आरणि के रूप में भारतीय रूपांतरण, 20 पृ0, आकार-30ग्21 से. मी.
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
    • Serial No: 2
      Play: स्वप्न क्था
      Playwright: भारत रत्न भार्गव
      Source/Accession No: न.प./493.1
      Description/Notes: भास द्वारा लिखित मूल संस्कृत नाटक ’प्रतिज्ञायौन्धरायण’ और ’स्वप्नवासव दत्ता’ पर आधारित पुर्नरचना। निर्देशन एवं परिकल्पना कावालम नारायण पणिक्कर। आलेख में निर्देशक के संशोधन हैं। 20 पृ0, आकार-30ग्21 से. मी.
      Director/Actor being documented: के.एन. पणिक्कर
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